सुरेश वाडकर

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Tuesday, August 14, 2018

क्या सुकमा में नक्सलवाद के नाम पर फर्जी एनकाउंटर हुआ है?
मुठभेड़ एक खेत में हुई है. नक्सली इतने मुर्ख तो नही हैं कि किसी किसान के खेत में अपना कैम्प डाल कर रहे होंगे? नक्सली होते तो पहाड़ के हिस्से में अपने को छूपा कर रहे होते। खुले मैदान में कैम्प क्यों बनाते?



सुकमा : हमारे देश की 120 करोड़ आबादी जिसमे बुद्धिजीवी, लेखक, सामाजिक संगठन, छात्र और मजदूर आदि सभी को ये लग रहा होगा कि छत्तीसगढ़ के सुकमा जिला, ग्राम पंचायत मेहता के नुलकातोग गाँव में जो नक्सल-पुलिस मुठभेड़ की घटना हुई है वह सच है.
कहने को तो नक्सली मुठभेड़ है, लेकिन मरने वाले आदिवासी हैं. जिस जगह पर सुकमा पुलिस नक्सली मुठभेड़ बता रही है वह जगह देख कर लगता नहीं कि हकीकत में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई होगी।
पुलिस का यह दावा करना कि नक्सली कैंप ध्वस्त किया है, यह दावा भी झुठा दिखाई दे रहा है।क्योंकि D.R.G. के एक भी जवान को खरोच तक नहीं आई। यह कैसी मुठभेड़ है?
जिला सुकमा कि पुलिस ने जो वीडियो नेट के जरिये से वायरल की है, वो उस वीडियो में तीन मृत शरीर दिखा रहे हैं। उस विड़ियों में साफ नजर आ रहा है कि मृत शरीर जमीन पर पड़े हुए हैं और बंदू के मृत शरीर के बगल में राखी हुई हैं।
घटना स्थल एक खेत में हुई है. जिसे पुलिस कैम्प कह रही है दरअसल वो किसान की खेत में एक झोंपड़ी है. अगर वे नक्सली होते तो किसी किसान के खेत में कैम्प क्यों होता? नक्सली इतने मुर्ख तो नही हैं कि किसी किसान के खेत में अपना कैम्प डाल कर रहे होंगे? नक्सली होते तो पहाड़ के हिस्से में अपने को छूपा कर रहे होते। खुले मैदान में कैम्प क्यों बनाते?
अभी जाँच पूर्ण नहीं है। पूरी सच्चाई जब चारों गाँवो के लोग सामने आयेगे तब पता लग जाएगा। सवाल ये भी है कि राष्ट्रीय पंत्रकारो को घटना स्थल का मुआयना करने क्यों नही दिया जा रहा? अगर पुलिस प्रशासन सच्चाई के रास्ते पर है तो पत्रकारों को रोकना नहीं चाहिए. लेकिन सुकमा पुलिस रोक रही हैं।
देश के राजनैतिक दल अगर देश में लोकतंत्र को कायम रखेंगे तो देश के सभी राजनैतिक दलो, सामाजिक संगठनो, बुद्धिजीवी वार्गों, छात्र संगठनो दि को इस घटनाकी सही से जाँच करवाने को लेकर संघर्ष करना चाहिए।

देश के तमाम संगठनो ने ऐसा नहीं किया तो बहुत जल्द भारत में आरएसएस की भाजपा सरकार देश की प्रगति, निष्ठा, आदर्श, क़ानून और सिद्धांतों को समाप्त कर देगी। देश में नागरिकों के मानवाधिकारों की कृप्या रक्षा किजिए। मुझे अपने देश के प्रति जो कर्तव्यों की रक्षा करनी है करने की कोशिश कर रहा हूँ. आप सब कब करेगें?

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