सुरेश वाडकर

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Sunday, January 25, 2015

रावन और बोद्ध धर्म (Ravana and Buddhism)

रावन और बोद्ध धर्म (Ravana and Buddhism)

आंबेडकरवादी दावा :-
रावन एक दलित/नागवंशी राजा था जो बोद्ध था और जो लंका या गोंड पर राज करता था।
हिंदू बोद्ध विरोधी थे इसीलिए रावन को रामायण में खलनायक बना दिया ।
दावे का भंडाफोड़ :-
मैं जो साबुत देता हु वो ज्यादातर मुख्य धारा इतिहास के अनुसार होता है, तो कुछ लोग जो कहेंगे की में RSS का इतिहास बता रहा हु वे चुप रहे ।
आंबेडकरवादियो का यह सिधांत विरोधाभास से भरा हुआ है ।
इस सिधांत के 3 वर्शन है
1) रावण गोंड राजा था और बोद्ध था ,पुष्यमित्र हिंदू विरोधी था और उसने बोद्ध धर्मियो का नाश किया ।
2) रावण एक बोद्ध राजा था लंका का और बाकि सब पहले वाले की थी तरह ।
3) बृहद्र मौर्य रावण था और पुष्यमित्र राम था और बाकि सब वाही जो पहले वाले में  लिखा है ।
राम को दलित विरोधी या नागवंशी विरोधी सिद्ध करने में कई अड़चन थी तो यह अलग अलग सिधांत पैदा हो गए ।
ये बिचारे तो यह भी फैसला नहीं कर पाए की रावन आखिर कौन था ? गोंड राजा,लंका का राजा या बृहद्र मौर्य ,इसी से पता चलता है की इस सिधांत में कोई दम नहीं और इसे लोग कैसे मान लेते है पता नहीं ।
पहले गोंड राजा वाले सिधांत पर बात करते है,मध्य प्रदेश में एक गोंड समुदाय रावण की पूजा करता है इसी से इन लोगो ने यह निष्कर्ष निकाला की रावण एक गोंड राजा था ,पर मध्य प्रदेश में ही एक ब्राह्मण समुदाय भी रावण की पूजा करता है ,तो इसपर क्या कहेंगे आंबेडकरवादी ??
इसके अलावा हिंदू ,जैन और बोद्ध ग्रंथो में रावण को हमेशा से लंका का ही राजा कहा गया है तो वो गोंड का राजा कैसे ??
और किस ग्रंथ में लिखा है की पुष्यमित्र के काल में रावण नाम का कोई राजा था ??
अब दुसरे वाले वर्शन पर आते है ।बोद्ध ग्रंथ लंकावतार सुत्त के अनुसार रावण बोद्ध राजा था और महात्मा बुद्ध उसके राज्य काल में श्री लंका आये थे और बुद्ध से दीक्षा ले रावण बोद्ध बन गया ।
श्री लंका के बोद्ध और भारत के कई बोद्ध यही मानते है की रावण बोद्ध था और तमिल या दलितों का हीरो था जबकि रावण ने एक भी ऐसा काम नहीं किया जो उसे तमिलो का या दलितों का मसीहा बना दे ।
अब लंका में बोद्ध धर्म आया अशोक के काल में उससे पहले वहा बोद्ध धर्म नहीं था बल्कि हिंदू धर्म था ।
लंका की लोक कथाओ के अनुसार लंका का पहला राजा था विजय ।विजय राजा सिंहभाहू का पुत्र और सिंहपुर राज्य का राजकुमार और उसकी माँ कलिंग की राजकुमारी थी,सिंहपुर की सही स्थिति नहीं पता ।कुछ के अनुसार सिंहपुर गुजरात में था और कुछ के अनुसार बंगाल में  ,विजय दुष्ट था इसीलिए एक दिन उसके पिता ने उसे अपने राज्य से निकाल दिया। राजकुमार विजय अपने 700 अनुयायियों के साथ समुद्र के रस्ते नई जगह की खोज में निकले,जब विजय को निकाला गया था तभी महात्मा बुद्ध की मृत्यु हुई थी यानि विजय 500 ईसापूर्व का था ।
विजय तब लंका पहोचे,क्युकी विजय के पिता सिंहभाहू के पिता एक शेर या सिंह थे इसीलिए वे खुदको सिहल पुकारते ।
विजय लंका में हिंदू धर्म लाया ऐसा भी हम कह सकते है और विजय हिंदू ही था ।
तब लंका में नाग ,राक्षस और यक्ष नाम के काबिले के लोग रहते थे ।
विजय ने राक्षसो की राजकुमारी से विवाह किया और फिर वह श्री लंका का पहला राजा बना ।
अब हिंदू धर्म पहले से लंका में था या विजय उसे लाया लेकिन इससे यह सिद्ध होता है की हिंदू धर्म लंका में बोद्ध धर्म से पहले से था ।
लंका के लोग भी हिंदू थे या बन गए और लंका के लोगो में रावण काफी प्रसिद्ध थे ।
जब बोद्ध धर्म लंका के लोग अपनाने लगे तो उन लोगो ने रावण को भी बोद्ध धर्म में ढाल दिया ।
अब तीसरे वर्शन पर आते है ।
तीसरे वर्शन की कहानी अशोकवादाना से है ।कहानी अनुसार पुष्यमित्र ने हजारो बोद्ध भिक्षुओ की हत्या कर दी थी ,यह कहानी काल्पनिक है और अशोकवादाना के बारे में पड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे ।
इस वर्शन के अनुसार रामायण काल्पनिक कहानी है और बृहद्र मौर्य ही असल में रावण था ।
बृहद्र मौर्य एक छोटा राजा था और पुष्यमित्र का असली खतरा बृहद्र मौर्य नहीं था बल्कि यूनानी राजा मिलिंद था ।
पर मिलिंद एक आक्रमणकारी था और बोद्ध था तो असली खलनायक मिलिंद ही नज़र आ रहा था और उसके किलाफ़ युद्ध लड़ने वाला पुष्यमित्र नायक नज़र आ रहा था ,तो मिलिंद के बजाये अम्बेडकरवादीयो ने बृहद्र को ले लिया ।
रावण हिंदू था और ब्राह्मण था ।
हिंदू,जैन और बोद्ध ग्रंथो में रावण के बारे में जितना लिखा है वो उसे दलित या तमिल लोगो का मसीहा कही भी सिद्ध नहीं करती ।
न रावण ने दलितों के लिए कोई जंग की और न तमिलो के लिए कुछ किया
क्युकी रामायण में रावण राम के किलाफ़ था इसीलिए उसे दलित और तमिल मसीहा बना दिया साथ में एक बोध भी जो वो कभी था भी नहीं ।

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