सुरेश वाडकर

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Monday, December 1, 2014

हनुमान===== सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी लगभग १४,९६,००,००० किलोमीटर या ९,२९,६०,००० मील है तथा पृथ्वी का व्यास है 7900 मील जबकि सूर्य का व्यास 862400 मील है. इस हिसाब से सूर्य का आकार पृथ्वी से 100 गुना से भी ज़्यादा हुआ | रामायण में कहा गया है एक बार

हनुमान===== सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी लगभग १४,९६,००,००० किलोमीटर या ९,२९,६०,००० मील है तथा पृथ्वी का व्यास है 7900 मील जबकि सूर्य का व्यास 862400 मील है. इस हिसाब से सूर्य का आकार पृथ्वी से 100 गुना से भी ज़्यादा हुआ | रामायण में कहा गया है एक बार
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Kamal Ki Kalam
11-10-13
हनुमान=====
सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी लगभग १४,९६,००,००० किलोमीटर या ९,२९,६०,००० मील है तथा पृथ्वी का व्यास है 7900 मील जबकि सूर्य का व्यास 862400 मील है. इस हिसाब से सूर्य का आकार पृथ्वी से 100 गुना से भी ज़्यादा हुआ | रामायण में कहा गया है एक बार जब हनुमान को भूख लगी तो उसने सूर्य को फल समझ लिया और उसको मुंह में रख लिया 
१. सूर्य आग का गोला है तथा नाभिकीय क्रियाओ के द्वारा उसमे निरंतर अग्नि बनती रहती है आज तक कोई भी सूर्य तक नहीं पहुँच सका है यहाँ तक कि विज्ञानं के क्षेत्र में सबसे अधिक उन्नति करने वाला देश अमेरिका भी नहीं | फिर हनुमान सूर्य के नजदीक कैसे पहुँच गया ? १४,९६,००,००० किलोमीटर का सफ़र हनुमान ने कैसे तय कर लिया जबकि उसके पंख भी नहीं थे | फिर ये भी मान लिया जाये कि हनुमान वहां तक पहुँच भी गया तो वह सूर्य की अग्नि से भस्म क्यों नहीं हुआ ? चलो हम सूर्य को अग्नि का गोला भी नहीं मानते है और ये मान लेते है कि सूर्य को हनुमान ने अपने मुंह में रख भी लिया था तो सूर्य का आकर पृथ्वी के आकार सौ गुना बड़ा है और इतना बड़ा सूर्य हनुमान के मुंह में आ गया तो हनुमान खुद कितना बड़ा होगा ? सूर्य के आकर से लगभग १५-20 गुना बड़ा तो होगा ही | मतलब कि पृथ्वी के आकार से 1500 -2000 गुना बड़ा | क्या कोई भी प्राणी ऐसे स्थान में निवास कर सकता है जो उसके आकार से जरा सी भी छोटी हो ? नहीं, बल्कि उसको अपने से कई गुना बड़ा स्थान रहने के लिए, उठने-बैठने के लिए और सोने के लिए चाहिए फिर हनुमान अपने से 1500-2000 गुना छोटी पृथ्वी पर कैसे आ सकता है ? सोचो और बताओ
2. जब मेघनाद ने लक्ष्मण को मूर्छित कर दिया था तो सुषेण वैद्य ने उसको जीवित करने के लिए संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा था और कहा था अगर संजीवनी बूटी सूर्योदय होने से पहले आ गयी तो लक्ष्मण के प्राण बच सकते है अन्यथा लक्ष्मण के प्राणों को नहीं बचाया जा सकता है | जब हनुमान संजीवनी बूटी लेकर आ रहा था तो उसने देखा सूर्योदय होने वाला है तो उसने सूर्य को अपने मुंह में दाब लिया | अब हनुमान सूर्य को अपने मुंह में लेकर तो पृथ्वी पर आ नहीं सकता क्योंकि पृथ्वी उसके आकर से हजारो गुना छोटी होती है क्योकि पृथ्वी से सौ गुना बड़ा सूर्य उसके मुंह में समां गया और अगर वो अपने आकार को छोटा करके पृथ्वी पर आता है तो उसको सूर्य मुंह से निकालना होगा और सूर्य मुंह से निकालने का मतलब था सवेरा होना अर्थात सूर्योदय होना और सूर्योदय होने का मतलब था लक्ष्मण के प्राणों का नहीं बचना फिर कैसे संजीवनी बूटी धरती पर आई और कैसे लक्ष्मण को जीवित किया जा सका ? अगर किसी को पता हो तो मुझको भी बताओ बन्धु और मेरा मार्गदर्शन करो
३. जब हनुमान रावण के पास राम का सन्देश लेकर जाता है तो रावण उससे क्रुद्ध होकर उसका वध करने की आज्ञा देता है लेकिन विभीषण उसको बचा लेता है | तब रावण उसकी पूँछ में आग लगाने की आज्ञा देता है और उसकी पूँछ में खूब घी तेल और कपडे लपेटकर आग लगा दी जाती है | उसके बाद हनुमान र्सोने की लंका में आग लगा देता है और हनुमान की पूँछ तक नहीं जली | कैसे ? सभी जानते है कि सोना एक बहुमूल्य धातु है जो आग लगाने पर और निखरता है फिर सोने की लंका कैसे जल गयी ? क्या वह इसलिए जबरदस्ती जला दी गयी क्योकि वह रावण की थी या फिर उन दिनों कोई और विशेष प्रकार का सोना होता था जो ज्वलनशील पदार्थ था | और हनुमान जो मांस और हड्डियों का बना हुआ था जिसकी पूँछ से तमाम ज्वलनशील पदार्थ बंधे हुए थे और जिसमे आग लगायी गयी थी उसकी पूँछ तक भी नहीं जली | क्यों ? कहीं ऐसा तो नहीं हनुमान सोने का बना हुआ हो और लंका फूस की बनी हुई हो इसलिए हनुमान की पूँछ भी नहीं जली बल्कि और निखर गयी और लंका जल गयी और फिर अगर सारी लंका नगरी को हनुमान ने जलाकर रख दिया था तो फिर लंका में रहने वाले जीवित कैसे रह गए | लंका में रहने वाले लोगो को तो उसके अन्दर ही जलकर मर जाना चाहिए था फिर राम से युद्ध किसने किया ? भाई सोचो और अगर किसी के पास इन सवालों का जवाब हो तो मुझको जरुर बताना | बहुत कंफ्यूज हूँ मै इन सवालों को सोच सोच कर —

सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी लगभग १४,९६,००,००० किलोमीटर या ९,२९,६०,००० मील है तथा पृथ्वी का व्यास है 7900 मील जबकि सूर्य का व्यास 862400 मील है. इस हिसाब से सूर्य का आकार पृथ्वी से 100 गुना से भी ज़्यादा हुआ | रामायण में कहा गया है एक बार जब हनुमान को भूख लगी तो उसने सूर्य को फल समझ लिया और उसको मुंह में रख लिया 
१. सूर्य आग का गोला है तथा नाभिकीय क्रियाओ के द्वारा उसमे निरंतर अग्नि बनती रहती है आज तक कोई भी सूर्य तक नहीं पहुँच सका है यहाँ तक कि विज्ञानं के क्षेत्र में सबसे अधिक उन्नति करने वाला देश अमेरिका भी नहीं | फिर हनुमान सूर्य के नजदीक कैसे पहुँच गया ? १४,९६,००,००० किलोमीटर का सफ़र हनुमान ने कैसे तय कर लिया जबकि उसके पंख भी नहीं थे | फिर ये भी मान लिया जाये कि हनुमान वहां तक पहुँच भी गया तो वह सूर्य की अग्नि से भस्म क्यों नहीं हुआ ? चलो हम सूर्य को अग्नि का गोला भी नहीं मानते है और ये मान लेते है कि सूर्य को हनुमान ने अपने मुंह में रख भी लिया था तो सूर्य का आकर पृथ्वी के आकार सौ गुना बड़ा है और इतना बड़ा सूर्य हनुमान के मुंह में आ गया तो हनुमान खुद कितना बड़ा होगा ? सूर्य के आकर से लगभग १५-20 गुना बड़ा तो होगा ही | मतलब कि पृथ्वी के आकार से 1500 -2000 गुना बड़ा | क्या कोई भी प्राणी ऐसे स्थान में निवास कर सकता है जो उसके आकार से जरा सी भी छोटी हो ? नहीं, बल्कि उसको अपने से कई गुना बड़ा स्थान रहने के लिए, उठने-बैठने के लिए और सोने के लिए चाहिए फिर हनुमान अपने से 1500-2000 गुना छोटी पृथ्वी पर कैसे आ सकता है ? सोचो और बताओ
2. जब मेघनाद ने लक्ष्मण को मूर्छित कर दिया था तो सुषेण वैद्य ने उसको जीवित करने के लिए संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा था और कहा था अगर संजीवनी बूटी सूर्योदय होने से पहले आ गयी तो लक्ष्मण के प्राण बच सकते है अन्यथा लक्ष्मण के प्राणों को नहीं बचाया जा सकता है | जब हनुमान संजीवनी बूटी लेकर आ रहा था तो उसने देखा सूर्योदय होने वाला है तो उसने सूर्य को अपने मुंह में दाब लिया | अब हनुमान सूर्य को अपने मुंह में लेकर तो पृथ्वी पर आ नहीं सकता क्योंकि पृथ्वी उसके आकर से हजारो गुना छोटी होती है क्योकि पृथ्वी से सौ गुना बड़ा सूर्य उसके मुंह में समां गया और अगर वो अपने आकार को छोटा करके पृथ्वी पर आता है तो उसको सूर्य मुंह से निकालना होगा और सूर्य मुंह से निकालने का मतलब था सवेरा होना अर्थात सूर्योदय होना और सूर्योदय होने का मतलब था लक्ष्मण के प्राणों का नहीं बचना फिर कैसे संजीवनी बूटी धरती पर आई और कैसे लक्ष्मण को जीवित किया जा सका ? अगर किसी को पता हो तो मुझको भी बताओ बन्धु और मेरा मार्गदर्शन करो
३. जब हनुमान रावण के पास राम का सन्देश लेकर जाता है तो रावण उससे क्रुद्ध होकर उसका वध करने की आज्ञा देता है लेकिन विभीषण उसको बचा लेता है | तब रावण उसकी पूँछ में आग लगाने की आज्ञा देता है और उसकी पूँछ में खूब घी तेल और कपडे लपेटकर आग लगा दी जाती है | उसके बाद हनुमान र्सोने की लंका में आग लगा देता है और हनुमान की पूँछ तक नहीं जली | कैसे ? सभी जानते है कि सोना एक बहुमूल्य धातु है जो आग लगाने पर और निखरता है फिर सोने की लंका कैसे जल गयी ? क्या वह इसलिए जबरदस्ती जला दी गयी क्योकि वह रावण की थी या फिर उन दिनों कोई और विशेष प्रकार का सोना होता था जो ज्वलनशील पदार्थ था | और हनुमान जो मांस और हड्डियों का बना हुआ था जिसकी पूँछ से तमाम ज्वलनशील पदार्थ बंधे हुए थे और जिसमे आग लगायी गयी थी उसकी पूँछ तक भी नहीं जली | क्यों ? कहीं ऐसा तो नहीं हनुमान सोने का बना हुआ हो और लंका फूस की बनी हुई हो इसलिए हनुमान की पूँछ भी नहीं जली बल्कि और निखर गयी और लंका जल गयी और फिर अगर सारी लंका नगरी को हनुमान ने जलाकर रख दिया था तो फिर लंका में रहने वाले जीवित कैसे रह गए | लंका में रहने वाले लोगो को तो उसके अन्दर ही जलकर मर जाना चाहिए था फिर राम से युद्ध किसने किया ? भाई सोचो और अगर किसी के पास इन सवालों का जवाब हो तो मुझको जरुर बताना | बहुत कंफ्यूज हूँ मै इन सवालों को सोच सोच कर —

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