Reservation; Our Right
दोस्तों,
सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार भारत में 50% आरक्षण का प्रावधान है. अर्थात
50% ब्राह्मणों, राजपूतों और वैश्यों को और 50% भारत के मूल निवासियों को..
यह हक हमे कोई मुफ्त में नहीं मिला है.. 200 सालों की लम्बी लड़ाई के बाद
हमारे लोगों को आरक्षण मिला था..
क्या आप लोग अपने पूर्वजों की कुर्बानियों का सम्मान नहीं करते?
अपना हक न छोड़ें.. अगर कही भी.. कोई भी राज्य सरकार.. केन्द्रीय सरकार या निजी कंपनी आपको नौकरियों में 50% आरक्षण ना दे.. तो न्यायलयों में अपने अधिकार की मांग करे.. अपने समाज और अपने लोगों के हित में सोचे..
दोस्तों, मेरी अगर निजी राय पूछी जाये तो में तो 90% आरक्षण की मांग करुँगी.. क्योकि हमारे समाज के लोग भारत की कुल आबादी के 85-90% है.. भारत सरकार देश में 3.5% ब्राह्मणों, राजपूतो और वैश्यों को 50% आरक्षण कैसे दे सकती है..??? इनका हिस्सा 3.5% ही होना चाहिए..
क्योकि भारत लोकतान्त्रिक देश है.. यहाँ लोगों के हित के लिए लोगों की सरकार चुनी जाती है.. लोगो को उनके हिसाब से अधिकार भी मिलने चाहिए.. युरेशियनों को 50% आरक्षण का भी हक नहीं है…
ये ब्राह्मण, राजपूत और वैश्य विदेशी है.. यह बात 2001 में हुए DNA TEST में भी साबित हो चुकी है.. तो भारत में कानून के अनुसार कोई भी विदेशी देश के सर्वोच्च पदों पर आसीन नहीं हो सकता.. मैं पूछती हु.. जब सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया है.. की ब्राह्मण, राजपूत और वैश्य विदेशी है.. तो वो देश के सर्वोच्च पदों पर कैसे आसीन हो सकते है?
यह हमारे लोगों के साथ सुप्रीम कोर्ट के द्वारा, केन्द्रीय सरकार द्वारा और युरेशियनों द्वारा किया गया अन्याय नहीं है तो और क्या है?
दोस्तों, क्या हमे इस के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़नी चाहिए? कब तक यूँ ही हाथ पर हाथ धरे बैठे रहोगे? डॉ अम्बेडकर तो अपना काम हर तरीके से पूरा कर गए.. हम लोगों और हमारे समाज के लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए.. हमारे लोगों के लिए सबसे अच्छे से अच्छा प्रावधान कर गए… लेकिन हमारे लोग ही डॉ अम्बेडकर को.. उनकी कुर्बानी को नहीं समझ पाए.. और ना ही मूल निवासी डॉ अम्बेडकर की सोच और दिए गए अधिकारों का सम्मान कर पाए..
आरक्षण कोई लाचारी, बैसाखी या भीख नहीं है.. हमारा हक है.. हमारे पूर्वजों की कुर्बानी है.. आरक्षण हमे कैसे मिला और आरक्षण के लिए कितना संघर्ष किया गया..? जानकारी के लिए यह लिंक देखे..
History of Reservation
अपने पूर्वजों की कुर्बानियों का सम्मान करे..
क्या आप लोग अपने पूर्वजों की कुर्बानियों का सम्मान नहीं करते?
अपना हक न छोड़ें.. अगर कही भी.. कोई भी राज्य सरकार.. केन्द्रीय सरकार या निजी कंपनी आपको नौकरियों में 50% आरक्षण ना दे.. तो न्यायलयों में अपने अधिकार की मांग करे.. अपने समाज और अपने लोगों के हित में सोचे..
दोस्तों, मेरी अगर निजी राय पूछी जाये तो में तो 90% आरक्षण की मांग करुँगी.. क्योकि हमारे समाज के लोग भारत की कुल आबादी के 85-90% है.. भारत सरकार देश में 3.5% ब्राह्मणों, राजपूतो और वैश्यों को 50% आरक्षण कैसे दे सकती है..??? इनका हिस्सा 3.5% ही होना चाहिए..
क्योकि भारत लोकतान्त्रिक देश है.. यहाँ लोगों के हित के लिए लोगों की सरकार चुनी जाती है.. लोगो को उनके हिसाब से अधिकार भी मिलने चाहिए.. युरेशियनों को 50% आरक्षण का भी हक नहीं है…
ये ब्राह्मण, राजपूत और वैश्य विदेशी है.. यह बात 2001 में हुए DNA TEST में भी साबित हो चुकी है.. तो भारत में कानून के अनुसार कोई भी विदेशी देश के सर्वोच्च पदों पर आसीन नहीं हो सकता.. मैं पूछती हु.. जब सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया है.. की ब्राह्मण, राजपूत और वैश्य विदेशी है.. तो वो देश के सर्वोच्च पदों पर कैसे आसीन हो सकते है?
यह हमारे लोगों के साथ सुप्रीम कोर्ट के द्वारा, केन्द्रीय सरकार द्वारा और युरेशियनों द्वारा किया गया अन्याय नहीं है तो और क्या है?
दोस्तों, क्या हमे इस के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़नी चाहिए? कब तक यूँ ही हाथ पर हाथ धरे बैठे रहोगे? डॉ अम्बेडकर तो अपना काम हर तरीके से पूरा कर गए.. हम लोगों और हमारे समाज के लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए.. हमारे लोगों के लिए सबसे अच्छे से अच्छा प्रावधान कर गए… लेकिन हमारे लोग ही डॉ अम्बेडकर को.. उनकी कुर्बानी को नहीं समझ पाए.. और ना ही मूल निवासी डॉ अम्बेडकर की सोच और दिए गए अधिकारों का सम्मान कर पाए..
आरक्षण कोई लाचारी, बैसाखी या भीख नहीं है.. हमारा हक है.. हमारे पूर्वजों की कुर्बानी है.. आरक्षण हमे कैसे मिला और आरक्षण के लिए कितना संघर्ष किया गया..? जानकारी के लिए यह लिंक देखे..
History of Reservation
अपने पूर्वजों की कुर्बानियों का सम्मान करे..
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