सुरेश वाडकर

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Saturday, December 20, 2014

जनगणना का इतिहास

जनगणना का इतिहास


जनगणना का कार्य हर 10 साल के अंतराल पर 1872 से लगातार किया जा रहा है। 
*भारत की जनगणना 1872 के बाद इस अबाध श्रृंखला की 14वीं और स्वतंत्र भारत की 7वीं जनगणना है। 
*जनगणना कार्य 'जनगणना अधिनियम 1948' और इसके तहत बनाए गए "जनगणना नियम 1990" (संशोधित अधिनियम 1993) के तहत किया जाने वाला सबसे बड़ा शासकीय कार्य है। इस कार्य को करने वाला व्यक्ति सरकारी ड्यूटी पर माना जाता है।
*भारत की जनगणना का कार्य विश्व का सबसे बड़ा समयबद्घ रूप से किया जाने वाला प्रशासनिक कार्य है।
*जनगणना में पूछे जाने वाले सवालों को भारत सरकार एवं राज्य सरकार के राजपत्रों में भी प्रकाशित किया जाता है।
*जनगणना, युद्घ, महामारी, प्राकृतिक आपदा, राजनीतिक असंतोष जैसी विपत्तियों के बावजूद भी सतत रूप से की जाती रही है।
*जनगणना में लोगों की भागीदारी से देश की अनेकता में एकता की भावना की झलक मिलती है।
*देश के भविष्य निर्माण में जनगणना के आँकड़ों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इन आँकड़ों के आधार पर ही योजनाओं का निर्माण और उनका क्रियान्वयन किया जाता है।
*जनगणना के आँकड़ों का विकास योजनाओं की समीक्षा के लिए बहुत उपयोग किया जाता है।
121 करोड़ का भारत
आबादी का विस्फोट रोकने और साक्षरता बढ़ाने के सरकार के प्रयास जनगणना-2011 के आँकड़ों में सफल होते नजर आ रहे हैं। वर्ष 2001-11 के दशक में देश की जनसंख्या भले ही 18.10 करोड़ बढ़कर 121 करोड़ तक पहुँच गई हो, लेकिन नौ दशकों में पहली बार देश की जनसंख्या वृद्धि दर में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है और साक्षर लोगों की संख्या बढ़ी है। मप्र में भी जनसंख्या वृद्धि दर घटी है।

गुरुवार को केंद्रीय गृह सचिव जीके पिल्लई व भारत के महापंजीयक सी.चंद्रमौलि ने 2011 की जनगणना के तदर्थ आँकड़े जारी किए। इनके अनुसार भारत की 121 करोड़ की आबादी में 62.37 करोड़ पुरुष और 58.65 करोड़ महिलाएँ हैं। पुरुषों की 17.19 प्रश की तुलना में महिलाओं की आबादी 18.12 प्रश बढ़ी है।

महत्वपूर्ण आँकड़े : भारत की आबादी 121 करोड़। 18.10 करोड़ बढ़े। 62.37 करोड़ पुरुष। 58.65 करोड़ महिलाएँ। 17.64 प्रतिशत वृद्धि दर। 74.04 प्रतिशत साक्षर। जनसंख्या वृद्धि दर में सबसे ज्यादा गिरावट।साक्षरता दर और लिंगानुपात में सुधार, लेकिन बेटों के प्रति रुझान कम नहीं। प्रति 1000 पुरुषों पर 940 महिलाएँ। जनसंख्या वृद्धि दर में सबसे ज्यादा गिरावट।

खुशी की बात है : अच्छी बात यह है कि 2001-11 में जनसंख्या में वृद्धि 17.64 प्रश रही, जबकि पूर्व दशक में 21.54 और 1981-1991 में 23.87 प्रश जनसंख्या वृद्धि दर दर्ज की गई थी। 2001-2011 (1911-21 को छोड़कर) ऐसा पहला दशक है, जब देश की आबादी पूर्व दशक की तुलना में सबसे कम बढ़ी।

ज्यादा पढ़े-लिखे : 10 साल में साक्षरों की संख्या 9.2 प्रश बढ़ी। साक्षरता का प्रतिशत 64.83 से बढ़कर 74.04 हो गया है। 82.14 प्रश पुरुष व 65.46 प्रश महिलाएँ साक्षर हैं। साक्षरों में महिलाएँ अब भी पुरुषों से काफी पीछे हैं, लेकिन पुरुषों में 6.9 प्रश की तुलना में महिलाओं में साक्षरता 11.8 प्रतिशत बढ़ी है।

लिंगानुपात में सुधार : 10 साल में प्रति एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 933 से बढ़कर 940 हो गई है। वर्ष 1971 के बाद दर्ज यह सर्वाधिक लिंगानुपात है। केरल का लिंगानुपात 1084, पुडुचेरी का 1038 और दमन-दीव का सबसे कम 618 है।

बेटियाँ कम हुईं : छः साल तक की बच्चियों व बच्चों की आबादी के बीच बढ़ता फासला चिंता की बात है। छः साल तक के बच्चों के आँकड़ों में लिंगानुपात अनुपात 927 से घटकर 914 हो गया है, जो आजादी के बाद सबसे कम है। छः साल तक के बच्चों की आबादी भी पिछले दशक की तुलना में लगभग 50 लाख (3.08 प्रश) घटकर 15.88 करोड़ हो गई है। इनमें बेटों की जनसंख्या में गिरावट की दर 2.42 व बेटियों में 3.80 प्रश है। इस वर्ग का कुल आबादी में 13.1 प्रश हिस्सा है, जबकि पूर्व जनगणना में यह 15.9 प्रश था। यह दिखाता है कि लोग अब कम बच्चे पैदा करना चाहते हैं।

छः देशों के बराबर : देश की आबादी अमेरिका, इंडोनेशिया, ब्राजील, पाकिस्तान, बांग्लादेश और जापान की कुल जनसंख्या के बराबर हो गई है। इन देशों की संयुक्त जनसंख्या 1.21 अरब है और मौजूदा दौर में इतने ही लोग अकेले भारत में भी हैं।मिजोरम के सरछिप और आईजोल जिलों में सबसे ज्यादा 98 प्रश से अधिक साक्षरता दर्ज की गई, लेकिन मप्र का आलीराजपुर 37.22 और छत्तीसगढ़ का बीजापुर 41.58 प्रतिशत सबसे फिसड्डी जिले हैं।जनसंख्या पर नियंत्रण के मामले में मप्र ने काफी अच्छी प्रगति दर्ज की है। 1991-01 में मप्र की जनसंख्या वृद्धि दर 24.26 प्रश थी, जबकि 2001-11 में यह घटकर 20.30 प्रश पर आ गई।
जनसंख्या के महत्वपूर्ण आँकड़े
भारत की जनसंख्या की गणना हर दस साल बाद होती है। इसमें 1911-21 की अवधि को छोड़कर प्रत्येक दशक में आबादी में वृद्घि दर्ज की गई 1 करोड़ 84 लाख आबादी 20वीं सदी की शुरुआत में भारत में रहती थी, जो 21वीं शताब्दी में एक अरब 2 करोड़ 80 लाख तक पहुँच गई।

सदी की शुरुआत में भारत का लिंग अनुपात 972 था। इसके बाद 1941 तक इसमें निरंतर गिरावट देखी गई। देश में लिंग अनुपात हमेशा से महिलाओं के अनुकूल नहीं रहा।लाख वर्ग किमी भू-भाग भारत के पास है, जो विश्व के कुल भू-भाग का मात्र 2.4 प्रतिशत है। फिर भी दुनिया की 16.7 प्रतिशत आबादी का भार उसे वहन करना पड़ रहा है।

*विश्व में कुल आबादी 6,928,198,25।
*लिंगानुपात 986।
*महिला जनसंख्या 3,439,888,902।
*पुरुष जनसंख्या 3,488,309,351।
*1901 के बाद भारत की जनसंख्या की गणना हर दस साल बाद होती है। इसमें 1911-21 की अवधि को छोड़कर प्रत्येक दशक में आबादी में वृद्घि दर्ज की गई।
*23 करोड़ 84 लाख आबादी 20वीं सदी की शुरुआत में भारत में रहती थी, जो 21वीं शताब्दी में एक अरब 2 करोड़ 80 लाख तक पहुँच गई।
*20वीं सदी की शुरुआत में भारत का लिंग अनुपात 972 था। इसके बाद 1941 तक इसमें निरंतर गिरावट देखी गई। देश में लिंग अनुपात हमेशा से महिलाओं के अनुकूल नहीं रहा।
*1357.90 लाख वर्ग किमी भू-भाग भारत के पास है, जो विश्व के कुल भू-भाग का मात्र 2.4 प्रतिशत है। फिर भी दुनिया की 16.7 प्रतिशत आबादी का भार उसे वहन करना पड़ रहा है। 
*भारत की आबादी 121 करोड़। 18.10 करोड़ बढ़े। 62.37 करोड़ पुरुष। 58.65 करोड़ महिलाएँ। 17.64 प्रतिशत वृद्धि दर। 74.04 प्रतिशत साक्षर। जनसंख्या वृद्धि दर में सबसे ज्यादा गिरावट। साक्षरता दर और लिंगानुपात में सुधार, लेकिन बेटों के प्रति रुझान कम नहीं। प्रति 1000 पुरुषों पर 940 महिलाएँ। जनसंख्या वृद्धि दर में सबसे ज्यादा गिरावट।

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