अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी (जन्म: २५ दिसंबर, १९२४) भारत के पूर्व प्रधानमंत्री हैं। वे पहले १६ मई से १ जून १९९६ तथा फिर १९ मार्च १९९८ से २२ मई २००४ तक भारत के प्रधानमंत्री रहे।[1] वे भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक हैं और १९६८ से १९७३ तक उसके अध्यक्ष भी रहे। वे जीवन भर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे। उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया
था और देश के सर्वोच्च पद पर पहुँचने तक उस संकल्प को पूरी निष्ठा से
निभाया। वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन
सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे जिन्होंने गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री पद
के 5 साल बिना किसी समस्या के पूरे किए। उन्होंने 24 दलों के गठबंधन से
सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे। कभी किसी दल ने आनाकानी नहीं की। इससे
उनकी नेतृत्व क्षमता का पता चलता है।
सम्प्रति वे राजनीति से संन्यास ले चुके हैं और नई दिल्ली में ६-ए कृष्णामेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते हैं।[2]
इसी क्रम में 2014 दिसंबर में इन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया ।।
वह भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक हैं और सन् १९६८ से १९७३
तक वह उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। सन् १९५५ में उन्होंने पहली
बार लोकसभा चुनाव लड़ा, परन्तु सफलता नहीं मिली। लेकिन उन्होंने हिम्मत
नहीं हारी और सन् १९५७ में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँचे। सन् १९५७ से १९७७ तक जनता पार्टी की स्थापना तक वे बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। मोरारजी देसाई की सरकार में सन् १९७७ से १९७९ तक विदेश मन्त्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनायी।
१९८० में जनता पार्टी से असन्तुष्ट होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की। ६ अप्रैल १९८० में बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयी को सौंपा गया। दो बार राज्यसभा के लिये भी निर्वाचित हुए। लोकतन्त्र के सजग प्रहरी अटल बिहारी वाजपेयी ने सन् १९९७ में प्रधानमन्त्री के रूप में देश की बागडोर संभाली। १९ अप्रैल १९९८ को पुनः प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में १३ दलों की गठबन्धन सरकार ने पाँच वर्षों में देश के अन्दर प्रगति के अनेक आयाम छुए।
सन् २००४ में कार्यकाल पूरा होने से पहले भयंकर गर्मी में सम्पन्न कराये गये लोकसभा चुनावों में भा०ज०पा० के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन (एन०डी०ए०) ने वाजपेयी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और भारत उदय (अंग्रेजी में इण्डिया शाइनिंग) का नारा दिया। इस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। ऐसी स्थिति में वामपंथी दलों के समर्थन से काँग्रेस ने भारत की केन्द्रीय सरकार पर कायम होने में सफलता प्राप्त की और भा०ज०पा० विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई। सम्प्रति वे राजनीति से संन्यास ले चुके हैं और नई दिल्ली में ६-ए कृष्णामेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते हैं।
भारत भर के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम
चतुर्भुज परियोजना (अंगरेजी में- गोल्डन क्वाड्रिलेट्रल प्रोजैक्ट या
संक्षेप में जी क्यू प्रोजैक्ट) की शुरुआत की गई। इसके अंतर्गत दिल्ली,
कलकत्ता, चेन्नई व मुम्बई को राजमार्ग से जोड़ा गया। एसा माना जाता है कि
अटल जी के शासनकाल में भारत में जितनी सड़कों का निर्माण हुआ इतना सिर्फ
शेरशाह सूरी के समय में ही हुआ था।
अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवि भी हैं। मेरी इक्यावन कविताएँ अटल जी का प्रसिद्ध काव्यसंग्रह है। वाजपेयी जी को काव्य रचनाशीलता एवं रसास्वाद के गुण विरासत में मिले हैं। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी
ग्वालियर रियासत में अपने समय के जाने-माने कवि थे। वे ब्रजभाषा और खड़ी
बोली में काव्य रचना करते थे। पारिवारिक वातावरण साहित्यिक एवं काव्यमय
होने के कारण उनकी रगों में काव्य रक्त-रस अनवरत घूमता रहा है। उनकी सर्व
प्रथम कविता ताजमहल थी। इसमें शृंगार रस के प्रेम प्रसून न चढ़ाकर
"एक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल, हम गरीबों की मोहब्बत का उड़ाया है
मजाक" की तरह उनका भी ध्यान ताजमहल के कारीगरों के शोषण पर ही गया। वास्तव
में कोई भी कवि हृदय कभी कविता से वंचित नहीं रह सकता। राजनीति के साथ-साथ
समष्टि एवं राष्ट्र के प्रति उनकी वैयक्तिक संवेदनशीलता आद्योपान्त प्रकट
होती ही रही है। उनके संघर्षमय जीवन, परिवर्तनशील परिस्थितियाँ,
राष्ट्रव्यापी आन्दोलन, जेल-जीवन आदि अनेक आयामों के प्रभाव एवं अनुभूति ने
काव्य में सदैव ही अभिव्यक्ति पायी। विख्यात गज़ल गायक जगजीत सिंह ने अटल जी की चुनिंदा कविताओं को संगीतबद्ध करके एक एल्बम भी निकाला था।
http://pmindia.nic.in/pmsofindia.php?ln=hindi
"... और चुपचाप सब देख रहे हैं अटल बिहारी वाजपेयी". नवभारत टाईम्स. 27 मार्च 2014. अभिगमन तिथि: 28 मार्च 2014.
मेरी इक्यावन कविताएँ पृष्ठ ११२
मेरी इक्यावन कविताएँ पृष्ठ ५ (कवि और मैं)
राजनीति के शिखर कवि अटलबिहारी बाजपेयी पृष्ठ १६
राजनीति के शिखर कवि अटलबिहारी बाजपेयी पृष्ठ २५
"Delhi-Lahore bus leaves for Pak". rediff.com (Rediff.com India limited). फ़रवरी 20, 2007. अभिगमन तिथि: 2008-04-21.
हिन्दुस्तान (हिन्दी दैनिक) नई दिल्ली 20 दिसम्बर 1996 "क्रान्तिकारियों के साथ हमने न्याय नहीं किया"
दैनिक जागरण नई दिल्ली 20 दिसम्बर 1996 "देशवासी महान क्रान्तिकारियों को भूल रहे हैं"
मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
अटल बिहारी वाजपेयी | |
भारत के ग्यारहवें प्रधानमंत्री
(प्रथम शासनकाल) |
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कार्यकाल १६ मई १९९६ – १ जून १९९६ |
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पूर्ववर्ती | पी. वी. नरसिंह राव |
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परवर्ती | ऍच. डी. देवगौड़ा |
(द्वितीय शासनकाल)
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कार्यकाल १९ मार्च १९९८ – २२ मई २००४ |
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पूर्ववर्ती | इन्द्र कुमार गुजराल |
परवर्ती | मनमोहन सिंह |
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जन्म | 25 दिसंबर 1924 ग्वालियर, मध्य प्रदेश |
राजनैतिक दल | भारतीय जनता पार्टी |
हस्ताक्षर |
सम्प्रति वे राजनीति से संन्यास ले चुके हैं और नई दिल्ली में ६-ए कृष्णामेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते हैं।[2]
अनुक्रम
आरम्भिक जीवन
उत्तर प्रदेश में आगरा जनपद के प्राचीन स्थान बटेश्वर के मूल निवासी पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी मध्य प्रदेश की रियासत ग्वालियर में अध्यापक थे। वहीं शिन्दे की छावनी में २५ दिसम्बर १९२४[3] को ब्रह्ममुहूर्त में उनकी सहधर्मिणी कृष्णा वाजपेयी की कोख से अटल जी का जन्म हुआ था। पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापन कार्य तो करते ही थे इसके अतिरिक्त वे हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि[4] भी थे। पुत्र में काव्य के गुण वंशानुगत परिपाटी से प्राप्त हुए। महात्मा रामचन्द्र वीर द्वारा रचित अमर कृति "विजय पताका" पढकर अटल जी के जीवन की दिशा ही बदल गयी। अटल जी की बी०ए० की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई। छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे। कानपुर के डी०ए०वी० कालेज से राजनीति शास्त्र में एम०ए० की परीक्षा प्रथम श्रेणी[5] में उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर में ही एल०एल०बी० की पढ़ाई भी प्रारम्भ की लेकिन उसे बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये। डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ तो पढ़ा ही, साथ-साथ पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य[6] भी कुशलता पूर्वक करते रहे।इसी क्रम में 2014 दिसंबर में इन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया ।।
राजनीतिक जीवन
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इस अनुभाग में सन्दर्भ या सूत्र नहीं दिए गए हैं। कृपया विश्वसनीय सूत्रों के सन्दर्भ जोड़कर इस लेख में सुधार करें। बिना सूत्रों की सामग्री को हटाया जा सकता है। (July 2014) |
१९८० में जनता पार्टी से असन्तुष्ट होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की। ६ अप्रैल १९८० में बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयी को सौंपा गया। दो बार राज्यसभा के लिये भी निर्वाचित हुए। लोकतन्त्र के सजग प्रहरी अटल बिहारी वाजपेयी ने सन् १९९७ में प्रधानमन्त्री के रूप में देश की बागडोर संभाली। १९ अप्रैल १९९८ को पुनः प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में १३ दलों की गठबन्धन सरकार ने पाँच वर्षों में देश के अन्दर प्रगति के अनेक आयाम छुए।
सन् २००४ में कार्यकाल पूरा होने से पहले भयंकर गर्मी में सम्पन्न कराये गये लोकसभा चुनावों में भा०ज०पा० के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन (एन०डी०ए०) ने वाजपेयी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और भारत उदय (अंग्रेजी में इण्डिया शाइनिंग) का नारा दिया। इस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। ऐसी स्थिति में वामपंथी दलों के समर्थन से काँग्रेस ने भारत की केन्द्रीय सरकार पर कायम होने में सफलता प्राप्त की और भा०ज०पा० विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई। सम्प्रति वे राजनीति से संन्यास ले चुके हैं और नई दिल्ली में ६-ए कृष्णामेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते हैं।
प्रधानमंत्री के रूप में अटल जी का कार्यकाल
भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बनाना
- इन्हें भी देखें: भारतीय परमाणु परीक्षण
पाकिस्तान से संबंधों में सुधार की पहल
19 फ़रवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू की गई। इस सेवा का उद्घाटन करते हुए प्रथम यात्री के रूप में वाजपेयी जी ने पाकिस्तान की यात्रा करके नवाज़ शरीफ से मुलाकात की और आपसी संबंधों में एक नयी शुरुआत की।[7]कारगिल युद्ध
मुख्य लेख : कारगिल युद्ध
कुछ ही समय पश्चात् पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज़ मुशर्रफ
की शह पर पाकिस्तानी सेना व उग्रवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके
कई पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया। अटल सरकार ने पाकिस्तान की सीमा का
उल्लंघन न करने की अंतर्राष्ट्रीय सलाह का सम्मान करते हुए धैर्यपूर्वक
किंतु ठोस कार्यवाही करके भारतीय क्षेत्र को मुक्त कराया। इस युद्ध में
प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण भारतीय सेना को जान माल का काफी नुकसान हुआ
और पाकिस्तान के साथ शुरु किए गए संबंध सुधार एकबार फिर शून्य हो गए।स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना
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वाजपेयी सरकार के अन्य प्रमुख कार्य
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- एक सौ साल से भी ज्यादा पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाया।
- संरचनात्मक ढाँचे के लिये कार्यदल, सॉफ्टवेयर विकास के लिये सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल, विद्युतीकरण में गति लाने के लिये केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग आदि का गठन किया।
- राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास; नई टेलीकॉम नीति तथा कोकण रेलवे की शुरुआत करके बुनियादी संरचनात्मक ढाँचे को मजबूत करने वाले कदम उठाये।
- राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, आर्थिक सलाह समिति, व्यापार एवं उद्योग समिति भी गठित कीं।
- आवश्यक उपभोक्ता सामग्रियों की कीमतें नियन्त्रित करने के लिये मुख्यमन्त्रियों का सम्मेलन बुलाया।
- उड़ीसा के सर्वाधिक गरीब क्षेत्र के लिये सात सूत्रीय गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया।
- आवास निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए अर्बन सीलिंग एक्ट समाप्त किया।
- ग्रामीण रोजगार सृजन एवं विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों के लिये बीमा योजना शुरू की।
- सरकारी खर्चे पर रोजा इफ़्तार शुरू किया
कवि के रूप में अटल
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अटल जी की प्रमुख रचनायें
उनकी कुछ प्रमुख प्रकाशित रचनाएँ इस प्रकार हैं :- मृत्यु या हत्या
- अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी के वक्तव्यों का संग्रह)
- कैदी कविराय की कुण्डलियाँ
- संसद में तीन दशक
- अमर आग है
- कुछ लेख: कुछ भाषण
- सेक्युलर वाद
- राजनीति की रपटीली राहें
- बिन्दु बिन्दु विचार, इत्यादि।
पुरस्कार
- १९९२: पद्म विभूषण
- १९९३: डी लिट (कानपुर विश्वविद्यालय)
- १९९४: लोकमान्य तिलक पुरस्कार
- १९९४: श्रेष्ठ सासंद पुरस्कार
- १९९४: भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार
- 2014 दिसम्बर में भारत रत्न से सम्मानित ।
जीवन के कुछ प्रमुख तथ्य
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- आजीवन अविवाहित रहे।
- वे एक ओजस्वी एवं पटु वक्ता (ओरेटर) एवं सिद्ध हिन्दी कवि भी हैं।
- परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की संभावित नाराजगी से विचलित हुए बिना उन्होंने अग्नि-दो और परमाणु परीक्षण कर देश की सुरक्षा के लिये साहसी कदम भी उठाये।
- सन् १९९८ में राजस्थान के पोखरण में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण किया जिसे अमेरिका की सी०आई०ए० को भनक तक नहीं लगने दी।
- अटल सबसे लम्बे समय तक सांसद रहे हैं और जवाहरलाल नेहरू व इंदिरा गांधी के बाद सबसे लम्बे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी। वह पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने गठबन्धन सरकार को न केवल स्थायित्व दिया अपितु सफलता पूर्वक संचालित भी किया।
- अटल ही पहले विदेश मंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था।
अटल जी की टिप्पणियाँ
चाहे प्रधान मन्त्री के पद पर रहे हों या नेता प्रतिपक्ष; बेशक देश की बात हो या क्रान्तिकारियों की, या फिर उनकी अपनी ही कविताओं की; नपी-तुली और बेवाक टिप्पणी करने में अटल जी कभी नहीं चूके। यहाँ पर उनकी कुछ टिप्पणियाँ दी जा रही हैं।- "भारत को लेकर मेरी एक दृष्टि है- ऐसा भारत जो भूख, भय, निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो।"
- "क्रान्तिकारियों के साथ हमने न्याय नहीं किया, देशवासी महान क्रान्तिकारियों को भूल रहे हैं, आजादी के बाद अहिंसा के अतिरेक के कारण यह सब हुआ[8][9]।"
- "मेरी कविता जंग का ऐलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं। वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते योद्धा का जय-संकल्प है। वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है[10]।"
सन्दर्भ
- * Bhagwat S. Goyal Values, Vision & Verses of Vajpayee: India's Man of Destiny पृष्ठ iii
- मेरी इक्यावन कविताएँ (अटल बिहारी बाजपेयी) सम्पादन: डॉ॰ चन्द्रिकाप्रसाद शर्मा १९९५ किताबघर २४, अंसारी रोड, दरियागंज,नई दिल्ली ११०००२ ISBN 81-7016-255-6
- राजनीति के शिखर कवि अटलबिहारी बाजपेयी (डॉ॰ सुनील जोगी) २००० सत्साहित्य भण्डार, अशोक विहार (फेज-२), नई दिल्ली ११००५२
- Values, Vision & Verses of Vajpayee: India's Man of Destiny by Prof. Bhagwat S. Goyal 2001 सृजन प्रकाशन, R-6/233, राजनगर, गाजियाबाद 201002 ISBN 81-87996-00-5.
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- मेरी इक्यावन कविताएँ की काव्य-मीमांसा
- अटलजी का जीवन परिचय (वेबदुनिया)
- अटल बिहारी वाजपेयी - एक परिचय - बीबीसी हिन्दी
- वाजपेयी का राजनीतिक सफ़र - बीबीसी हिन्दी
- पुस्तक डाट आर्ग पर अटलजी के बारे में जानकारी
- कविता कोश पर अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएँ
- अटल बिहारी बाजपेयी, विलक्षण काव्य प्रतिभा
- अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में जालस्थल
- भाजपा के जालस्थल पर वाजपेयीजी के बारे में
- भारत सरकार के जालस्थल पर वाजपेयीजी के बारे में
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