सुरेश वाडकर

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Sunday, November 9, 2014

वंशवाद की राजनीति में जगमगाया मुलायम परिवार

लोकसभा उपचुनाव में मैनपुरी सीट से सपा प्रत्याशी तेज प्रताप यादव तेजू की जीत से देश की राजनीति में कई रिकार्ड बन गए हैं. पहली बार संसद में एक ही परिवार की तीन पीढ़ियां एक साथ बैठेगीं और उपचुनाव परिणाम के साथ ही संसद में मुलायम का सबसे बड़ा परिवार हो गया है. संसद में बैठने वाले मुलायम परिवार के पांच सदस्यों में एक बहू, दो भतीजे और एक पौत्र हैं और दूसरी तरफ एक ही सीट (मैनपुरी) से दादा, चाचा और पौत्र की जीत का रिकार्ड भी कायम हो गया है. मैनपुरी लोकसभा सीट से चार बार चुनाव जीतने वाले मुलायम सिंह यादव ने अपने पौत्र तेज प्रताप के लिए जनता से अपने रिश्तों का हवाला देकर वोट मांगे थे. जनता ने इसका मान रखा, जो वह हमेशा रखती है. मुलायम ने लोकसभा का पहला चुनाव 1996 में मैनपुरी से लड़ा था. सन 2004 में अपना दूसरा चुनाव जीतने के बाद इस्तीफा देकर वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद उन्होंने उपचुनाव में भतीजे धर्मेंद्र यादव को मैनपुरी सीट से उतारा और जीत दिलवाई. वर्ष 2009 व 2014 का चुनाव धर्मेंद्र ने बदायूं सीट से लड़ा. 2014 लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यदाव एक बार फिर मैनपुरी लोकसभा सीट से जीते. मुलायम के पुत्र अखिलेश यादव कन्नौज और फिरोजाबाद से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. फिरोजाबाद उपचुनाव में अखिलेश की पत्नी डिम्पल यादव हार गई थीं. 2012 में अखिलेश यादव के उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद कन्नौज लोकसभा सीट से डिम्पल यादव लोकसभा पहुंच गईं. पिछली लोकसभा में मुलायम के साथ उनकी बहू डिम्पल यादव कन्नौज से सांसद और भतीजे धर्मेंद्र यादव बदायूं से सांसद थे. साल 2014 में अब दो नाम और बढ़ गए. फिरोजाबाद से मुलायम के भतीजे और प्रो. रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव जीते. उसके बाद अब मुलायम सिंह यादव के पौत्र तेज प्रताप तेजू मैनपुरी से सांसद बन गए. इस तरह लोकसभा में अब तेज प्रताप अपने दादा मुलायम सिंह यादव के साथ-साथ दो चाचा धर्मेंद्र और अक्षय व चाची डिम्पल यादव के साथ बैठेंगे. तेजू की जीत के साथ सैफई परिवार के खाते में एक ही सीट पर दादा, चाचा के बाद पौत्र की जीत का रिकार्ड भी बन गया.
भारतवर्ष की राजनीति में वंशवाद मंचों पर निंदा और व्यवहार में स्थापित होते जाने का विषय बनता जा रहा है. नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान राजनीति में वंशवाद पर तीखा प्रहार करते हुए झारखंड में कहा था कि कांग्रेस मां और बेटे की पार्टी है. समाजवादी पार्टी बाप बेटे की पार्टी है, राष्ट्रीय जनता दल पति-पत्नी की और झारखंड मुक्ति मोर्चा बाप-बेटे की पार्टियां हैं. मोदी ने राजनीति के अन्य खानदानों का तो नाम नहीं लिया था, लेकिन उस बयान के अनुसार आज का सच यह है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में राजनीतिक घरानों से ताल्लुक रखने वाले मंत्रियों की संख्या 24 प्रतिशत है, जबकि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में यह संख्या 36 प्रतिशत थी. वंशवाद से कोई भी पार्टी अछूती नहीं है, लेकिन कुछ खानदानों ने तो राजनीति का पेटेंट करा रखा है. इसमें मुलायम खानदान भी शामिल हो गया है. भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा अपने बेटे जयंत का राजनीतिक करियर संवारने में लगे रहे. मुम्बई में प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन अपने पिता की जगह संभालने राजनीति में आ चुकी हैं. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल सब अपने-अपने बेटों का राजनीतिक भविष्य संवारने में लगे हैं. उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे अखिलेश यादव, भाइयों रामगोपाल यादव और शिवपाल यादव, भतीजों धर्मेंद्र और अक्षय, बहु डिम्पल और पोते तेज प्रताप तक को राजनीति में स्थापित कर दिया. कश्मीर में शेख अब्दुल्ला ने पहले फारूक अब्दुल्ला को अपनी पार्टी नेशनल कांफ्रेंस का अध्यक्ष बनाया और वो मुख्यमंत्री बने. बाद में जब वह केंद्र सरकार में आए तो पार्टी और राज्य में सत्ता की बागडोर अपने बेटे उमर अब्दुल्ला के हवाले कर दी. ओड़ीसा में बीजू पटनायक ने नवीन पटनायक को आगे बढ़ाया. महाराष्ट्र में शिव सेना की स्थापना करने वाले बाल ठाकरे ने पार्टी अपने बेटे उद्धव ठाकरे के हवाले कर दी. अब उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे पार्टी के उभरते हुए युवा नेता हैं. बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख हैं.
दक्षिण भारत पर निगाह डालें तो तमिलनाडु में डीएमके के करुणानिधि ने अपने बेटे और परिवार के कई सदस्यों को पार्टी और सरकार दोनों में ही मुख्य स्थान दिए. बिहार में लालू यादव ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री तक बना लिया. अब बेटी मीसा भारती और बेटों को भी पार्टी में शामिल कर चुके हैं. मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, संजय गांधी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, वरुण गांधी, मेनका गांधी और उनके राजनीतिक रिश्तेदारों की लंबी फेहरिस्त भारतीय लोकतांत्रिक राजनीति में स्थापित वंशवाद का नायाब नमूना है. धीरे-धीरे इस सूची में कई और खानदान शोभा बढ़ाने के लिए संलग्न होते चले गए हैं. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मुरली देवड़ा के बेटे मिलिंद देवड़ा, मरहूम राजेश पायलट के बेटे सचिन पायलट, माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया खानदानी सूची के जगमगाते नाम हैं. क्षेत्रीय दलों में बाल ठाकरे की शिवसेना, ओमप्रकाश चौटाला का इंडियन नेशनल लोकदल, प्रकाश सिंह बादल का अकाली दल, फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस, लालू यादव का राजद, मुलायम सिंह यादव की सपा, बीजू पटनायक का बीजद, अजित सिंह का रालोद, सईद की पीडीपी और रामविलास पासवान की लोजपा भी परिवार प्रेम में पड़े राजनीतिक दल हैं.
प्रमुख राजनीतिक खानदान 
नेहरू-गांधी परिवार-
मोती लाल नेहरू: कांग्रेस के नेता और एक प्रसिद्ध वकील
जवाहर लाल नेहरु: मोती लाल के बेटे और प्रधानमंत्री (1947-1964)
इंदिरा गांधी: जवाहर लाल नेहरू की बेटी और प्रधानमंत्री (1966-1977 और 1980-1984)
राजीव गांधी: इंदिरा गांधी के बेटे और प्रधानमंत्री (1984-1989)
सोनिया गांधी: राजीव गांधी की पत्नी, अध्यक्ष कांग्रेस पार्टी और यूपीए
राहुल गांधी: राजीव और सोनिया के बेटे, उपाध्यक्ष कांग्रेस पार्टी
प्रियंका गांधी: राजीव और सोनिया की बेटी, कांग्रेस पार्टी नेता
संजय गांधी: इंदिरा गांधी के छोटे बेटे. विमान हादसे में उनकी मौत न हुई होती तो वे प्रधानमंत्री बनते.
मेनका गांधी: संजय गांधी की पत्नी, भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री
वरुण गांधी: संजय एवं मेनका के बेटे और भाजपा सांसद
इनके अलावा परिवार के अन्य सदस्य जो किसी न किसी सूरत में राजनीति से जुड़े रहे, वह थे इंदिरा गांधी की चचेरी बहन उमा नेहरू, उनके बेटे अरुण नेहरू, जवाहर लाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू, मोतीलाल नेहरू की बेटी विजय लक्ष्मी पंडित और उनकी बेटी नयनतारा सहगल.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदम्बरम, असम के मुख्यमंत्री, केरल की पूर्व राज्यपाल और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री राणे, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी.एम. सईद के पुत्रों से लेकर राजनीतिक परिवारों की विरासत संभालने वाले मुरली देवड़ा, स्व. राजेश पायलट और जितेन्द्र प्रसाद के पुत्र जितिन से लेकर सुनील दत्त की पुत्री प्रिया दत्त, दिग्विजय सिंह के भाई, हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र की पत्नी और पंजाब के राजा अमरेन्द्र की रानी आदि सभी राजनीति में शोभा बढ़ा रहे हैं. हरियाणा में मुख्यमंत्री भुपेंद्र सिंह हुडड्ा के पुत्र और राज्य के दो कैबिनेट मंत्रियों और वरिष्ठ नेता सुरजेवाला के पुत्र-पुत्री, पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के बेटे और देवीलाल के परिवार की राजनीतिक चमक किसी से छुपी हुई नहीं है.
मुलायम परिवार
मुलायम सिंह यादवः पूर्व केंद्रीय रक्षा मंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, मौजूदा सांसद
अखिलेश यादवः मुलायम के पुत्र, पूर्व सांसद, मौजूदा मुख्यमंत्री यूपी
डिम्पल यादवः मुलायम की पुत्रवधु, मौजूदा सांसद
प्रो. रामगोपाल यादवः मुलायम के भाई, मौजूदा राज्यसभा सांसद
शिवपाल सिंह यादवः मुलायम के भाई, मौजूदा वरिष्ठ मंत्री यूपी
धर्मेंद्र यादवः मुलायम के भतीजे, मौजूदा सांसद
अक्षय यादवः मुलायम के भतीजे, रामगोपाल के पुत्र, मौजूदा सांसद
तेज प्रताप यादवः मुलायम के पोते, मौजूदा सांसद
अब्दुल्ला परिवार
शेख अब्दुल्ला: भूतपूर्व मुख्यमंत्री जम्मू कश्मीर
फारूक अब्दुल्ला: शेख अब्दुल्ला के बेटे और भूतपूर्व मुख्यमंत्री जम्मू कश्मीर और पूर्व केंद्रीय मंत्री
उमर अब्दुल्ला: फारूक अब्दुल्ला के बेटे और मुख्यमंत्री जम्मू कश्मीर
इनके इलावा शेख अब्दुल्ला की पत्नी बेगम अकबर सांसद रह चुकी हैं और उनके बेटे मुस्तफा कमाल अब्दुल्ला कश्मीर विधानसभा के सदस्य थे.
ठाकरे परिवार
बाल ठाकरे: शिव सेना के संस्थापक
उद्धव ठाकरे: बाल ठाकरे के बेटे और शिवसेना के अध्यक्ष
आदित्य ठाकरे: उद्धव ठाकरे के बेटे और युवा शिवसेना के अध्यक्ष
राज ठाकरे: बाल ठाकरे के भतीजे और महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के संस्थापक
स्मिता ठाकरे: बाल ठाकरे की बहु
नन्दामुरी परिवार (एनटीआर)
नन्दामुरी ताराक रामाराव (एनटीआर): भूतपूर्व मुख्यमंत्री आंध्र प्रदेश और अभिनेता
चंद्रबाबू नायडू: एनटीआर के दामाद और मुख्यमंत्री आंध्र प्रदेश
लक्ष्मी पार्वती: पत्नी एनटीआर तेलुगु देशम एनटीआर गुट की भूतपूर्व अध्यक्ष
एन. हरिकृष्ण: एनटीआर के बेटे और नेता
एन. बालकृष्ण: एनटीआर के बेटे अभिनेता और राजनेता
डी. पुरन्देश्‍वरी: एनटीआर की बेटी और नेता
डी. वेंकटेश्‍वर राव: एनटीआर के दामाद और नेता
करुणानिधि परिवार
एम करुणानिधि: भूतपूर्व मुख्यमंत्री तमिलनाडु और डीएमके पार्टी नेता
एम के स्टालिन: करुणानिधि के बेटे और भूतपूर्व उप मुख्यमंत्री तमिलनाडु
एम के अलागिरी: करुणानिधि के सब से बड़े बेटे और भूतपूर्व केन्द्रय मंत्री
कनिमोझी: करुणानिधि की बेटी और राज्यसभा सदस्य
मुरासोली मारन : करुणानिधि के भतीजे और भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री
दयानिधि मारन : मुरासोली के बेटे और भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री प

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